योग क्या है, योग कैसे किया जाता है, योग कैसे काम करता है, विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए योग कैसे करें, योग के क्या फायदे हैं, मोटापा दूर करने के लिए योग और योग के अन्य फायदों के बारे में अधिक जानकारी के लिए पूरा लेख पढ़ें।
योग सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास नहीं है, यह गूढ़ता पूर्ण भावनात्मक एकीकरण एवम आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, जिससे हमें सभी कल्पनाओं से परे स्थित आयाम की एक झलक मिलतीहै। 'योग' यह शब्द 19 वीं शताब्दी में संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ है 'संघ' और 'आसन', या 'मुद्रा'।
योग एक पूर्ण विज्ञान है; यह शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट करती है। यह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करता है। यह एक व्यक्ति के व्यवहार, विचारों और रवैये में भी महत्वपूर्णपरिवर्तन लाता है। योग के दैनिक अभ्यास से हमारी अंतः शांति, संवेदनशीलता, अंतर्ज्ञान और जागरूकता बढ़ती है।
योगा का महत्व योगाचार्य महर्षि पतंजली ने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है। आज वही योग दुनियाभर में प्रसिद्धि पा रहा है। योग का अर्थ है जोड़ना। जीवात्मा का परमात्मा से पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य महर्षि पतंजली के अनुसार, अपने चित्त को एक ही जगह स्थापित करना योग है, 'योगश्च चित्तवृत्ति निरोध'।
जैसे पतंजलि के योग सूत्र में वर्णित है – 'स्थिरम सुख़म आसनम' का अर्थ है की योगासन प्रयास और विश्राम का संतुलन है। हम आसन में आने के लिए प्रयास करते हैं और फिर हम वहीं विश्रामकरते हैं। योगासन हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन लाती है। यह हमें प्रयास करने के लिए सिखाता है और फिर समर्पण, परिणाम से मुक्त होने का ज्ञान देता है। योगासन हमारे शारीरिकलचीलेपन को बढ़ाता है और हमारे विचारों को विकसित करता है।
योगासन साँसों के लय एवम् सजगता के साथ किया जाना चाहिए। जब हम अपने हाथों को योग के लिए उठाते हैं, तो पहले हम अपने हाथ के प्रति सजग होते हैं और फिर हम इसे धीरे-धीरे उठाते हैं, साँस के साथ लय में करते हैं। योगासन के एक मुद्रा से दुसरे मुद्रा में जाना एक नृत्य की तरह सुंदर है। प्रत्येक आसन में हम जो कुछ भी सहजता से कर सकते है, उससे थोड़ा ज्यादा करें और फिरउसी में आराम से विश्राम करे यही योगाभ्यास की कुंजी है। शरीर को अपनी स्वीकार्य सीमा से परे ले जाने पर ये आसन हमारे मन का विकास करतें हैं।
महर्षि पतंजलि द्वारा एक और योग सूत्र है, "प्रयत्न शैथिल्यानन्त समापत्तिभ्याम्" – जो की फिर से एक ही दर्शन को दोहराता है। प्रयास करें और समर्पित करें और ऐसा करने से हमारी जागरूकताअनन्तः को प्राप्त करती है, हमारी जागरूकता का विकास होता है।
पद्मासन (कमल मुद्रा) – जांघों के ऊपर पैरों को टिकाकर क्रॉस-लेग किया जाता है।
सिद्धासन (संपूर्ण या पूर्ण मुद्रा) – शरीर के करीब पैरों के साथ क्रॉस-लेग किया हुआ और एक पैर दूसरे के ऊपर टिका होता है।
वज्रासन (वज्र मुद्रा) – पैरों के तलवे और पैरों को जमीन पर टिकाकर और नितंबों को एड़ी पर टिकाकर बैठे।
योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने में (योग) का काम होता है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। शरीर, मन और मस्तिष्क के स्वस्थ रहने से आप स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं।
योग के द्वारा न ही सिर्फ बीमारियों का उपचार किया जाता है, परंतु इसे अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक कमियों को भी दूर किया जा सकता है। योग हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नई-ऊर्जा का संचार करता है। योगासन शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी मुक्ति दिलाता है जो हमारी दैनिक जीवन के लिए आवश्यक है। योगासन और योग की मुद्राएं तन और मन दोनों को संचालित रखती हैं।
योग सीधे जमीन या फर्श पर बैठकर न करें। इसके लिए दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन करे।
योगासन करने से चेहने पर होने वाले किल-मुंहासे से छुटकारा पाया जा सकता है।
किसी भी योगासन को झटके से न करें। योग उतना ही करे, जितना आप आसानी से कर पाएं।
योगासन करने के तुरंत बाद न स्नान न करे क्योकि व्यायाम करने के बाद शरीर गर्म हो जाता है, और अगर आप गर्म शरीर में ही स्नान करेंगे तो सर्दी-जुकाम, बदन दर्द जैसी तकलीफ हो सकती है। इसलिए योग करने के एक घंटे बाद ही स्नान करना चाहिए।
योगासन करने से हमारी किड़नीयां भी स्वस्थ रहती है।
गर्भावस्था के दौरान मुश्किल आसन और कपाल भाती नहीं करना चाहिए।