शनि साढ़ेसाती एक ज्योतिषीय दोष है जो हिंदू ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक ग्रहणीय योग होता है जिसमें ग्रह शनि (Saturn) द्वारा प्रत्येक राशि में साढ़ेसाती के कारण व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन और चुनौतियाँ आ सकती हैं।
शनि साढ़ेसाती के कुछ महत्वपूर्ण पहलु:
कारण: शनि साढ़ेसाती का कारण होता है क्योंकि ग्रह शनि लगभग दो और एक-अर्ध साल में एक राशि में प्रवेश करता है। इसलिए जब किसी की जन्मराशि, चंद्र राशि या लग्न राशि में शनि आता है, तो उसके जीवन में शनि साढ़ेसाती चलती है।
प्रभाव: शनि साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति के जीवन में चुनौतियाँ और उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। यह समय समृद्धि, स्थिति, स्वास्थ्य, परिवार आदि के क्षेत्र में प्रतिबंधक तत्वों का प्रतीक हो सकता है।
उपाय: शनि साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति विभिन्न ज्योतिषीय उपायों का पालन करके इसके प्रभाव को कम करने का प्रयास करते हैं। ये उपाय ज्योतिषीय आदर्शों और धार्मिक प्रथाओं पर आधारित होते हैं।
चरण: शनि साढ़ेसाती को तीन चरणों में विभाजित किया जाता है - प्रथम चरण, द्वितीय चरण और तृतीय चरण। प्रत्येक चरण की अवधि लगभग दो साल की होती है।
यदि आपकी जन्मराशि में शनि साढ़ेसाती है और आप इसके प्रभाव के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको एक प्रमाणित और विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श प्राप्त करना चाहिए। वे आपको उपयुक्त सलाह और उपायों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।