"विष्टि करण" एक प्राचीन हिन्दू परंपरागत प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य शांति, सुख, और कल्याण की प्राप्ति करना होता है। यह प्राकृतिक घटनाओं और असुखों को दूर करने, नकारात्मक ऊर्जा को शुद्ध करने, और अच्छे समाजिक और आध्यात्मिक जीवन की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
विष्टि करण पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित तरीके का पालन किया जा सकता है:
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें।
विष्टि करण मूर्ति की स्थापना: विष्टि करण की मूर्ति या प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
पूजा सामग्री: विष्टि करण पूजा के लिए विभिन्न पूजा सामग्री तैयार करें, जैसे कि पुष्प, दीपक, धूप, आरती सामग्री, आदि।
पूजा और अर्चना: विष्टि करण मूर्ति की पूजा और अर्चना करें, उन्हें पुष्प, दीपक, धूप, आदि से पूजें।
मंत्र पाठ और जाप: विष्टि करण पूजा के लिए विशेष मंत्रों का पाठ करें और उनका जाप करें।
हवन: यज्ञकुंड में हवन करें और मंत्रों का जाप करें, जो प्राकृतिक ऊर्जा को शुद्ध करने में मदद कर सकते हैं।
प्रार्थना और आरती: पूजा के अंत में विष्टि करण मूर्ति के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और आरती करें।
धन्यवाद और दान: पूजा के बाद यदि संभावना हो, तो पंडित या आचार्य को धन्यवाद दें और दान करें।