वसंत पंचमी हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसे सरस्वती पूजा भी कहा जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से सरस्वती देवी की पूजा के लिए मनाया जाता है, जो विद्या, कला, विज्ञान, संगीत और वाणी की देवी मानी जाती है।
वसंत पंचमी भारत में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जिसका आमतौर पर फरवरी या मार्च महीने में होता है। इस दिन लोग बसंत के आगमन का स्वागत करते हैं और सरस्वती देवी की पूजा करते हैं ताकि उन्हें विद्या और कला में आशीर्वाद मिले।
वसंत पंचमी के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:
सरस्वती पूजा: वसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी की पूजा की जाती है। उनकी मूर्तियाँ सजाकर पूजी जाती हैं और उन्हें पुष्प, फल, मिठाई और विद्या के प्रतीक चीजों से चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
बसंत पंचमी के रंग: वसंत पंचमी के दिन बहुत से लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, क्योंकि पीला रंग बसंत के आगमन का प्रतीक होता है।
विद्या आरंभ: इस दिन बच्चों का पढ़ाई की शुरुआत की जाती है, और विद्या की प्राप्ति के लिए सरस्वती देवी की कृपा की प्रार्थना की जाती है।
संगीत और कला कार्यक्रम: बहुत स्थानों पर संगीत, नृत्य और कला के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें लोग अपने तालेंट का प्रदर्शन करते हैं और सरस्वती देवी की आराधना करते हैं।
विद्या दान: कुछ स्थानों पर वसंत पंचमी के दिन विद्या दान की परंपरा होती है, जिसमें किताबें, पुस्तकें और शिक्षा से जुड़े सामग्री गरीबों को दी जाती है।
वसंत पंचमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण त्योहार है, जिसमें विद्या और कला की मां सरस्वती की पूजा की जाती है और लोग उनकी कृपा प्राप्त करने का अवसर मानते हैं।