तुलसी विवाह हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जिसमें तुलसी प्लांट की मूर्ति को भगवान विष्णु के साथ विवाह किया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जिसका आमतौर पर नवम्बर या दिसम्बर महीने में होता है।
तुलसी विवाह का महत्व विशेषकर वैष्णव समुदाय में अधिक होता है, और यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण होता है। इस दिन तुलसी की मूर्ति को विश्वनाथ (शिव) या कृष्ण भगवान के साथ विवाहित किया जाता है, और विवाह संस्कृति की मान्यता के साथ उनकी पूजा की जाती है।
तुलसी विवाह के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:
तुलसी विवाह की पूजा: तुलसी विवाह के दिन तुलसी की मूर्ति को विश्वनाथ (शिव) या कृष्ण भगवान की मूर्ति के साथ विवाह के रूप में पूजा की जाती है।
पूजा और आरती: तुलसी विवाह के दौरान पूजा और आरती की जाती है, जिसमें तुलसी की मूर्ति के साथ विवाह के परंपरागत रूपों की पूजा की जाती है।
विवाह परंपरा: कुछ स्थानों पर तुलसी विवाह के दौरान विवाह परंपरा का अनुसरण किया जाता है, जिसमें तुलसी की मूर्ति के साथ विवाह के समय विवाह संस्कृति की पारंपरिक विधियों का पालन किया जाता है।
विशेष प्रसाद: इस दिन विशेष प्रसाद बनाया जाता है, जो तुलसी के पत्तों, फूलों, फलों, मिठाइयों और अन्य विधियों से तैयार किया जाता है।
तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें तुलसी की मूर्ति के साथ विवाह के माध्यम से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रकट किया जाता है।