नारायण बलि पूजा, जिसे तिरुवातिराई वैपुट्ठिनी और कार्तिक पूर्णिमा के दिन भी किया जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा है जो विष्णु भगवान (नारायण) की पूजा के साथ-साथ उनके नाम पर बलि चढ़ाने की भी होती है। यह पूजा प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास (अक्टूबर या नवम्बर) के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को की जाती है।
नारायण बलि पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित तरीके का पालन किया जा सकता है:
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें।
नारायण मूर्ति की स्थापना: एक नारायण मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
बलि की तैयारी: बलि की तैयारी करें, जिसमें एक बकरी, बकरा या अन्य जानवर की बलि शामिल हो सकती है। यदि आप जानवर की बलि नहीं चढ़ाना चाहते हैं, तो आप पुष्प, फल, नीरजा, और खाद्य पदार्थों की बलि चढ़ा सकते हैं।
पूजा और अर्चना: नारायण मूर्ति की पूजा और अर्चना करें, उन्हें पुष्प, दीपक, धूप, आदि से पूजें।
बलि चढ़ाना: नारायण के नाम पर बलि को चढ़ाने की प्रक्रिया करें।
मंत्र पाठ और प्रार्थना: नारायण की प्राप्ति और आशीर्वाद के लिए मंत्र पाठ करें और प्रार्थना करें।
भजन और कीर्तन: भजन और कीर्तन का प्रसंग करें, जिससे पूजा का आदर्श रूप में समापन हो सके।
आरती: नारायण की आरती करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
पंडित या आचार्य से सलाह: यदि आप नारायण बलि पूजा का आयोजन कर रहे हैं, तो स्थानीय