नाग पंचमी हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें सर्प (नाग) देवता की पूजा की जाती है। यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जिसका आमतौर पर जुलाई या अगस्त महीने में होता है।
नाग पंचमी के दौरान नाग देवता की पूजा की जाती है और संस्कृति, भक्ति और पौराणिक कथाओं के माध्यम से उनकी महत्वपूर्णता को समझाया जाता है। नाग पंचमी का महत्व विशेषकर वहाँ क्षेत्रों में होता है जहाँ सर्प देवता की परंपरागत पूजा और श्रद्धा होती है, जैसे कि विशेष रूप से भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में।
नाग पंचमी के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:
नाग पूजा: लोग नाग पंचमी के दिन सर्प देवता की मूर्तियों की पूजा करते हैं, जिन्हें दूध, बेलपत्र, कुंकुम, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भरपूर रूप से सजाकर आराधना की जाती है।
नागदेवता की चरण पूजा: कुछ स्थानों पर लोग नागदेवता की पूजा के दौरान नागदेवता की मूर्तियों के चरणों की पूजा करते हैं, जिससे वे उनकी आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
नाग कथाएँ: नाग पंचमी के दिन नाग कथाएँ और पौराणिक किस्से सुनाए जाते हैं, जो सर्प देवता के महत्व और उनके पूजन के पीछे की कथाएँ दर्शाते हैं।
पारंपरिक प्रथाएँ: कुछ स्थानों पर नाग पंचमी के दिन विशेष पारंपरिक प्रथाएँ आयोजित की जाती हैं, जैसे कि सर्प देवता की मूर्तियों की प्रदर्शन की जाती है और लोग उनकी पूजा करते हैं।
नाग पंचमी नाग देवता की पूजा करने और उनके महत्व को समझाने का एक अवसर होता है, जो विशेषकर सर्प पूजा की परंपरागत विधियों के माध्यम से प्रकट होता है।