"महामृत्युंजय मंत्र" हिन्दू धर्म में एक प्रमुख मंत्र है जो मृत्यु के प्रति भय को दूर करने और शिव की कृपा को प्राप्त करने के उद्देश्य से जपा जाता है। यह मंत्र श्री शिव पुराण के महामृत्युंजय महामंत्र के एक अंश से लिया गया है और यह भगवान शिव को समर्पित है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति और सुरक्षा की प्राप्ति होती है, और उन्हें जीवन के संघर्षों और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। यह मंत्र जीवन की अनिश्चितता और परिवर्तन के प्रति भी साहस और समर्थन प्रदान करता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करते समय विशेष रूप से अष्टमी तिथि, पूर्णिमा या महाशिवरात्रि के दिन या शिव मास के सोमवार के दिन का चयन किया जाता है। इस मंत्र का जप करते समय व्यक्ति को ध्यान करना चाहिए और इसका उच्चारण मननशील और शांत माहौल में करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
इस मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और मृत्यु की भयंकरता से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।