लार्ड विश्वकर्मा एक हिन्दू देवता है, जिन्हें कारीगरों और कारीगरी के देवता के रूप में पूजा जाता है। विश्वकर्मा देवता को जिनकी शिक्षा और कौशल से संबंधित माना जाता है, और उन्हें कारीगरी, उद्योग, शिल्पकला और वास्तुकला के प्रमुख देवता माना जाता है।
विश्वकर्मा देवता की पूजा का विशेष आयोजन विश्वकर्मा जयंती के दिन होता है, जो कि सितंबर महीने के पहले मंगलवार को आती है। इस दिन कारीगरों, शिल्पकारों, मजदूरों और उद्योगपतियों द्वारा विश्वकर्मा देवता की पूजा की जाती है और उनकी कृतियों की कला और मास्टरी की सराहना की जाती है।
विश्वकर्मा देवता की पूजा में आमतौर पर निम्नलिखित चरण होते हैं:
पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को सजाने के लिए उपयुक्त सामग्री की तैयारी की जाती है, जिसमें फूल, दीप, धूप, अगरबत्ती, पूजा पात्र, फल आदि शामिल होते हैं।
विश्वकर्मा देवता की मूर्ति की स्थापना: पूजा की शुरुआत में विश्वकर्मा देवता की मूर्ति की स्थापना की जाती है और उनकी पूजा की जाती है।
पूजा और आरती: विश्वकर्मा देवता की पूजा के बाद आरती बजाई जाती है और उन्हें दीपों की आरती की जाती है।
कृतियों की प्रस्तुति: यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें शिल्पकार या कारीगर अपनी बनाई हुई वस्तुएँ या कामों की प्रस्तुति करते हैं और उन्हें विश्वकर्मा देवता के चरणों में रखते हैं।
विश्वकर्मा देवता की पूजा उद्योग और शिल्पकला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, और इसे समृद्धि, सफलता, और कौशल में वृद्धि प्राप्त करने का अवसर माना जाता है।