लक्ष्मी यज्ञ पूजा भगवान लक्ष्मी की पूजा का एक महत्वपूर्ण और विशेष अवसर होता है। यह पूजा लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्ति, समृद्धि, आर्थिक उन्नति और सुख-शांति की प्रार्थना के लिए की जाती है। लक्ष्मी यज्ञ पूजा के द्वारा भक्त उनकी कृपा प्राप्ति के लिए आवश्यक कदम उठाते हैं।
लक्ष्मी यज्ञ पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित तरीके का पालन कर सकते हैं:
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें।
लक्ष्मी मूर्ति या चित्र का स्थापना: लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
लक्ष्मी मन्त्र पाठ: लक्ष्मी माता के मन्त्रों का जाप करें, जैसे कि "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं क्लीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"।
लक्ष्मी सहस्त्रनाम पाठ: लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें, जो लक्ष्मी माता की 1000 नामों की महिमा का वर्णन करता है।
आरती: पाठ के बाद लक्ष्मी माता की आरती करें और उन्हें फूल, दीपक और नैवेद्य से पूजें।
लक्ष्मी पूजा: लक्ष्मी पूजा की प्रक्रिया के दौरान लक्ष्मी माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जैसे कि धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, धैर्यलक्ष्मी, आदि।
भजन और कीर्तन: लक्ष्मी माता के भजन या कीर्तन का प्रसंग करें।
प्रसाद: पूजा के बाद लक्ष्मी माता को प्रसाद के रूप में भोग चढ़ाएं और उसे फिर आप और आपके परिवार के सदस्यों के बीच बांटें।
भक्ति और समर्पण: पूजा के समय लक्ष्मी माता की भक्ति में लीन रहें और उनके प्रति अपनी समर्पणा और प्रेम को प्रकट करें।