"कुंभ विवाह" एक प्राचीन हिन्दू परंपरागत प्रक्रिया है, जिसमें एक व्यक्ति को दो से अधिक पत्नियों के साथ विवाह करने का अधिकार होता है। यह प्राथमिक रूप से गुजरात राज्य में प्रचलित है, लेकिन कुछ अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार की प्रथा मिल सकती है। इस प्रकार के विवाह को कुंभ विवाह कहा जाता है।
मांगलिक दोष पूजा का मुख्य उद्देश्य ग्रह दोषों को निवारण करना होता है, जिसमें विशेष रूप से मंगल ग्रह के दोष को निष्पादित किया जाता है। मांगलिक दोष के दौरान विवाह और परिवार में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, आपसी विवाद, आदि।
मांगलिक दोष पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित तरीके का पालन किया जा सकता है:
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें।
मंगल मूर्ति की स्थापना: मांगल ग्रह की मूर्ति या प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
पूजा सामग्री: मांगलिक दोष पूजा के लिए विभिन्न पूजा सामग्री तैयार करें, जैसे कि पुष्प, दीपक, धूप, आरती सामग्री, आदि।
पूजा और अर्चना: मांगल ग्रह की पूजा और अर्चना करें, उन्हें पुष्प, दीपक, धूप, आदि से पूजें।
मंत्र पाठ और जाप: मांगलिक दोष पूजा के लिए मंगल ग्रह के विशेष मंत्रों का पाठ करें और उनका जाप करें।
हवन: यज्ञकुंड में हवन करें और मंत्रों का जाप करें, जो दोष के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
प्रार्थना और आरती: पूजा के अंत में मांगल ग्रह के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और आरती करें।