अर्धवार्षिक श्राद्ध पूजा, हिन्दू धर्म में पितृगणों की आत्माओं की शांति और मुक्ति के लिए की जाने वाली एक प्रकार की श्राद्ध पूजा है जो हर छठे महीने (अर्धवार्षिक) की पूर्णिमा और अमावस्या को की जाती है। यह पूजा प्रत्येक दो मासों में एक बार की जाती है और पितृगणों की पूजा और श्राद्ध की जाती है।
अर्धवार्षिक श्राद्ध पूजा की प्रक्रिया में निम्नलिखित तरीके का पालन किया जा सकता है:
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें।
पितृ मूर्तियों और फोटों की स्थापना: पितृगणों की मूर्तियाँ या फोटों को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
श्राद्ध के पदार्थ: श्राद्ध के लिए विभिन्न पदार्थ तैयार करें जैसे कि अन्न, दूध, घी, मिष्ठान, फल, खाद्य पदार्थ, आदि।
पितृ पूजा और अर्चना: पितृगणों की पूजा और अर्चना करें, उन्हें पुष्प, दीपक, धूप, आदि से पूजें।
मंत्र पाठ और प्रार्थना: पितृगणों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद की प्रार्थना करें, मंत्र पाठ करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
भजन और कीर्तन: पितृगणों की यादों को ताजगी देने के लिए भजन या कीर्तन का प्रसंग करें।
आरती: पितृगणों की आरती करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
पंडित या आचार्य से सलाह: यदि आप अर्धवार्षिक श्राद्ध पूजा का आयोजन कर रहे हैं, तो स्थानीय पंडित या आचार्य से सलाह लें और पूजा की सहायता प्राप