गायत्री मंत्र जाप

"गायत्री मंत्र" हिन्दू धर्म में एक प्रमुख मंत्र है जो उपासना, ध्यान और मेधा शक्ति को विकसित करने के उद्देश्य से जपा जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद के गायत्री छंद में है और सूर्य देवता की स्तुति का अंश है।

गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से मानसिक शक्ति और ध्यान क्षमता में वृद्धि होती है। यह मंत्र चित्त को शुद्ध करने में मदद करता है और व्यक्ति को सद्गति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। गायत्री मंत्र के जप से मानसिक तनाव, चिंता और संदेहों को दूर किया जा सकता है और आत्म-समर्पण और स्वयं से प्यार की भावना में वृद्धि हो सकती है।

गायत्री मंत्र का जप सवेरे और सायंकाल के समय किया जाता है, जैसे कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय। जप के दौरान व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करके उसका उच्चारण करना चाहिए और मननशील और शांत माहौल में करना चाहिए।

गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति, सुख और समृद्धि मिल सकती है, और उन्हें आत्मा के उद्देश्य की प्राप्ति में मदद मिल सकती है।