गणपति हवन गणेश चतुर्थी त्योहार के दौरान किया जाने वाला एक पूजा और हवन प्रथा है, जिसमें भगवान गणेश की पूजा करते हुए हवन किया जाता है। यह त्योहार भारत में विभिन्न प्रांतों में विशेष उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसके दौरान भगवान गणेश की पूजा और आराधना की जाती है।
गणपति हवन के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:
पूजा और स्थापना: गणपति हवन के पूर्व, भगवान गणेश की मूर्ति को विशेष रूप से सजाकर स्थापित किया जाता है।
हवन की सामग्री: हवन करने के लिए सामग्री तैयार की जाती है, जिसमें लकड़ी के छिद्र, घी, साबुत दाना, हवन सामग्री, फूल, धूप, दीप, अग्नि, घन, कबूतरी, व्रत संकल्प आदि शामिल होते हैं।
हवन क्रिया: पूजा अर्चना के बाद, पंडित या यजमान हवन के अनुष्ठान का आयोजन करते हैं, जिसमें अग्नि में सामग्री को डालते हैं और मन्त्रों का जाप करते हैं।
आरती और प्रसाद: हवन के बाद, भगवान गणेश की आरती की जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
पूजा समापन: गणपति हवन के दौरान की गई पूजा को समाप्त करते हुए, पंडित या यजमान भगवान गणेश की कृपा की प्रार्थना करते हैं और पूजा का आयोजन समाप्त करते हैं।
गणपति हवन एक प्रमुख पूजा प्रथा है, जिसमें भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए हवन किया जाता है। यह त्योहार आदित्यमहोत्सव, महागणेशोत्सव और गणेश चतुर्थी जैसे उत्सवों के दौरान मनाया जाता है और भगवान गणेश की पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।