दिवाली पूजा, भारतीय हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहार दिवाली के दिन आयोजित की जाती है। यह पूजा अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, जो कि आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के बीच होती है। यह पूजा लक्ष्मी माता की पूजा होती है, जिन्हें धन, समृद्धि और सौभाग्य की स्रोत माना जाता है।
दिवाली पूजा में निम्नलिखित चरण होते हैं:
घर की सफाई: पूजा के पहले, घर की सफाई और सजावट की जाती है। घर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए प्रयास किया जाता है।
रंगोली: घर के द्वार पर रंगोली बनाई जाती है, जो रंगीन आकृतियों और डिज़ाइनों का संयोजन होता है।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए विशेष प्रकार की सामग्री जैसे कि दिये, फूल, अगरबत्ती, धूप, आसन, पूजा पात्र, मिठाईयाँ आदि तैयार की जाती है।
लक्ष्मी पूजा: पूजा के समय, घर में लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। इसमें लक्ष्मी माता की मूर्ति का स्थान तय किया जाता है और उन्हें पूजा की जाती है।
आरती: पूजा के बाद लक्ष्मी माता की आरती बजाई जाती है, जिसमें दियों को घुमाकर उनकी पूजा की जाती है।
कई जगहों पर घरों को दीपों से सजाना: दिवाली के मौके पर घरों के बाहर और आंगनों में दिये और दीपों की सजावट की जाती है, जिससे पूरे घर का माहौल उत्सवपूर्ण और प्रसन्न होता है।
पटाखे: दिवाली के दिन अक्सर पटाखे जलाए जाते हैं, यह एक परंपरागत रूप से मनाया जाता है। हालांकि, ध्यान देने योग्य है कि यह प्रदूषण के कारणों से कम किया जाए और पर्यावरण का हानि न हो।
यह पूजा भारत और अन्य हिन्दू समुदायों में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है और घरों में खुशियाँ और उत्साह का माहौल बनता है।