चण्डी हवन एक पूजा प्रथा है जो मां दुर्गा की महाकाली रूप की पूजा और हवन के साथ आयोजित की जाती है। यह पूजा और हवन मां दुर्गा की महाकाली अवतार के महत्वपूर्ण प्रतीकों के आदर का रूप होता है और उनके शक्तिशाली और रक्षाकारी स्वरूप की महिमा को प्रमोट करता है।
चण्डी हवन के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:
पूजा स्थापना: चण्डी हवन के पूर्व, मां दुर्गा की मूर्ति को विशेष रूप से सजाकर स्थापित किया जाता है।
हवन की सामग्री: हवन करने के लिए विभिन्न सामग्री तैयार की जाती है, जैसे कि घी, साबुत दाना, अग्नि, यज्ञशाला, यजमान, अचामनीय, समिधा, संग्रहणी, आदि।
हवन क्रिया: पूजा अर्चना के बाद, पंडित या यजमान मां दुर्गा की महाकाली अवतार की पूजा करते हैं और हवन करते हैं, जिसमें अग्नि में सामग्री को डालते हैं और मन्त्रों का जाप करते हैं।
पूजा और आरती: हवन के बाद, मां दुर्गा की पूजा की जाती है और उनकी आरती दी जाती है।
प्रसाद और ब्रह्मण भोजन: पूजा के बाद, प्रसाद वितरित किया जाता है और ब्रह्मणों को भोजन की व्यवस्था की जाती है।
चण्डी हवन का उद्देश्य मां दुर्गा की महाकाली रूप की पूजा करना है और उनके शक्तिशाली और रक्षाकारी स्वरूप की महिमा को प्रमोट करना है। यह पूजा प्रथा मां दुर्गा की महाकाली अवतार के प्रतीकों के समर्पित है और उनके दयालु और उपकारक रूप को प्रमोट करने का प्रयास करती है।