अखण्ड श्री राम चरित मानस

"अखण्ड श्री राम चरित मानस" की पूजा तुलसीदास जी के रचित इस महत्वपूर्ण ग्रंथ की भक्तिपूर्ण आदर्शों और रामभक्ति की भावना को प्रकट करने के लिए की जाती है। यह पूजा भगवान श्री राम के आदर्शों और तत्वों के प्रतीक के रूप में मानी जाती है और उनके दिव्य चरित्र की महिमा को गायन करती है।

अखण्ड श्री राम चरित मानस पूजा का प्रावधानिक तरीका यह हो सकता है:

  1. पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल को पूजा के लिए तैयार करें। पूजा स्थल पर आसन या चौकी रखें जिस पर पूजा की वस्त्र और पुस्तक रखी जा सके।

  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि पूजा की वस्त्र, रोली, चावल, फूल, दीपक, आरती की थाली, पुष्प, प्रसाद आदि तैयार करें।

  3. आरती और पाठ: अखण्ड श्री राम चरित मानस के विभिन्न अध्यायों का पाठ करें और उन्हें आरती के साथ पूजन करें।

  4. आरती: पूजा की विशेष आरती का पाठ करें जैसे कि "जय जगदीश हरे" या अखण्ड रामायण चरित मानस के आरती।

  5. भजन और कीर्तन: भगवान श्री राम की महिमा के गाने या भजन का प्रसंग करें।

  6. प्रसाद: पूजा के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में भोग चढ़ाएं और उसे फिर आप और आपके परिवार के सदस्यों के बीच बांटें।

  7. भक्ति और समर्पण: पूजा के समय भगवान की भक्ति में लीन रहें और उनके प्रति अपनी समर्पणा और प्रेम को प्रकट करें।

यह एक आम प्रक्रिया है जो आप पूजा के दौरान अनुसरण कर सकते हैं। पूरे मानस रामायण की पूजा का आयोजन करने से पूजा के माध्यम से आप भगवान श्री राम की कथा और भक्ति का आनंद उठा सकते हैं।