सिंधिया घाट वाराणसी के 84 घाटों में से एक है। यह घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और मणिकर्णिका घाट के उत्तर में है। सिंधिया घाट का निर्माण 1835 में ग्वालियर के महाराजा दौलतराव सिंधिया ने करवाया था। इस घाट का नाम सिंधिया वंश के नाम पर रखा गया है।
सिंधिया घाट एक खूबसूरत घाट है। घाट के किनारे संगमरमर की सीढ़ियां और छतरीदार स्तंभ हैं। घाट पर एक बड़ा तालाब और एक पार्क भी है।
सिंधिया घाट एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। यहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। घाट पर गंगा में स्नान करने, पूजा करने और नाव की सवारी करने का आनंद लिया जा सकता है।
सिंधिया घाट वाराणसी आने वाले पर्यटकों के लिए एक अवश्य देखने वाला स्थान है।
सिंधिया घाट के कुछ प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं:
रत्नेश्वर महादेव मंदिर घाट पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर आंशिक रूप से नदी के जल में डूबा हुआ है।
सिंधिया घाट का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि अग्निदेव का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। यहां श्रद्धालु पुत्र कामना के लिए पूजा करते हैं।