संकठा देवी मंदिर वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है और इसे मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर वाराणसी के सिंधिया घाट के पास स्थित है।
संकठा देवी मंदिर की स्थापना का इतिहास अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि यह मंदिर 18वीं शताब्दी में बड़ौदा के राजा ने बनवाया था। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 19वीं शताब्दी में ब्राह्मण पंडित लक्ष्मण प्रसाद ने बनवाया था।
मंदिर का मुख्य आकर्षण मां दुर्गा की मूर्ति है, जो एक विशाल पत्थर से बनी है। मां दुर्गा को एक सिंह पर सवार दिखाया गया है, और उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल और कमल हैं। मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति के अलावा, अन्य कई देवी-देवताओं की भी मूर्तियाँ स्थापित हैं।
संकठा देवी मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है और इसे मां दुर्गा की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
संकठा देवी मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
मंदिर का नाम "संकठा" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है "सभी संकटों को दूर करने वाली"।
मंदिर के गर्भगृह में स्थित मां दुर्गा की मूर्ति को "संकठा देवी" कहा जाता है।
मंदिर के परिसर में एक विशाल नंदी की मूर्ति भी है, जो मां दुर्गा की वाहन है।
मंदिर के पास एक कुआँ है, जिसे "संकठा कुआँ" कहा जाता है। माना जाता है कि इस कुएँ का पानी सभी संकटों को दूर करता है।
संकठा देवी मंदिर वाराणसी की यात्रा करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अवश्य देखना चाहिए।
संकठा देवी मंदिर और संकटनाशक मंदिर दोनों ही वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन दोनों एक-दूसरे से अलग हैं। संकटनाशक मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जबकि संकठा देवी मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। इसके अलावा, दोनों मंदिरों की स्थापना और इतिहास भी अलग-अलग है।