मणिकर्णिका घाट वाराणसी का एक प्रसिद्ध श्मशान घाट है। यह घाट गंगा नदी के तट पर स्थित है और दशाश्वमेध घाट के पास है। मणिकर्णिका घाट को "जलता घाट" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां हर दिन सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
मणिकर्णिका घाट का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने इस स्थान पर तपस्या की थी। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, देवी सती ने जब अपने पिता द्वारा किए गए अपमान के कारण आत्मदाह किया था, तो भगवान शिव ने उनके शरीर को कंधे पर उठाकर पूरे ब्रह्मांड में घूमे थे। जब भगवान शिव के शरीर से देवी सती के शरीर की राख गिरी, तो वह इस स्थान पर गिरी और इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया।
मणिकर्णिका घाट हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यहां अंतिम संस्कार करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। मणिकर्णिका घाट पर हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अपने मृत प्रियजनों का अंतिम संस्कार करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
मणिकर्णिका घाट के कुछ प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं:
मणिकर्णिका घाट वाराणसी आने वाले पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण और रोचक स्थान है।