छठ पूजा

छठ पूजा वाराणसी में एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है।

छठ पूजा के चार दिन होते हैं:

  • नहाय खाय: छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती स्नान ध्यान के बाद सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं। इसके पश्चात विधि विधान से पूजा करते हैं। पूजा समापन के पश्चात सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
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  • खरना: छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती ब्रह्म बेला में उठती हैं और सूर्य देव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करती हैं। इसके बाद वे सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं, जिसमें गुड़, चावल, दूध, घी, फल आदि शामिल होते हैं। खरना के भोजन को अर्घ्य के रूप में छठी मैया को अर्पित किया जाता है।
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  • डूबते सूर्य को अर्घ्य: छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं और पुरुष गंगा नदी के किनारे एकत्रित होते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह एक बहुत ही भावुक क्षण होता है।
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  • उगते सूर्य को अर्घ्य: छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। इस दिन व्रती महिलाएं और पुरुष गंगा नदी के किनारे एकत्रित होते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन व्रती महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं।

छठ पूजा वाराणसी के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण है। हर साल, लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस त्योहार को देखने के लिए वाराणसी आते हैं।

वाराणसी में छठ पूजा के अवसर पर आयोजित होने वाले कुछ प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:

  • गंगा नदी के विभिन्न घाटों पर कांवरियों का आगमन और प्रस्थान
  • डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं का एकत्रित होना
  • विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन
  • भंडारा और भोजन वितरण

छठ पूजा का त्योहार एक ऐसा अवसर है जब हिंदू भगवान सूर्य और छठी मैया की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।