भरत मिलाप वाराणसी का एक ऐतिहासिक और धार्मिक समारोह है, जो रामलीला के 18वें दिन आयोजित किया जाता है। इस समारोह में भगवान राम और उनके छोटे भाई भरत की भेंट होती है।
भरत मिलाप वाराणसी के नाटी इमली घाट पर आयोजित किया जाता है। इस घाट पर एक विशाल मंच बनाया जाता है, जहां भगवान राम और भरत की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। समारोह के दिन, भगवान राम और भरत की प्रतिमाएं लकड़ी के रथ पर बैठाई जाती हैं और उन्हें नाटी इमली घाट पर लाया जाता है।
समारोह के दौरान, भगवान राम और भरत की प्रतिमाओं को आरती दी जाती है और फूलों से सजाया जाता है। इसके बाद, भगवान राम और भरत एक-दूसरे से गले मिलते हैं। यह मिलन एक बहुत ही भावुक क्षण होता है।
भरत मिलाप वाराणसी के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। हर साल, लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस समारोह को देखने के लिए वाराणसी आते हैं।
भरत मिलाप का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि यह समारोह 16वीं शताब्दी से आयोजित किया जा रहा है। भरत मिलाप का वर्णन रामचरितमानस में भी मिलता है। रामचरितमानस के अनुसार, भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटते हैं। अयोध्या के लोग भगवान राम का स्वागत करने के लिए बहुत उत्साहित होते हैं। भरत, जो भगवान राम के छोटे भाई हैं, भी भगवान राम का स्वागत करने के लिए अयोध्या आते हैं। भरत, भगवान राम को अपना राज्य सौंपने के लिए तैयार हैं। भगवान राम और भरत की भेंट एक बहुत ही भावुक क्षण होती है।