स्त्रोत का पाठ करने के लिए घर को गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए तथा ईशान कोण की दिशा में माता लक्ष्मी कि चांदी की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए. साथ ही श्री यंत्र भी स्थापित करना चाहिए श्री यंत्र को सामने रख कर उसे प्रणाम करना चाहिए और अष्टलक्ष्मियों का नाम लेते हुए उन्हें प्रणाम करना चहिए, इसके पश्चात उक्त मंत्र बोलना चाहिए. पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी कि कथा का श्रवण भी किया जा सकता है. माँ लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाना चाहिए और धूप, दीप, गंध और श्वेत फूलों से माता की पूजा करनी चाहिए. सभी को खीर का प्रसाद बांटकर स्वयं खीर जरूर ग्रहण करनी चाहिए.
आदिलक्ष्मी सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवी चन्द्र सहोदरीहेममये | मुनिगणमंडित मोक्षप्रदायिनी मंजुलभाषिणीवेदनुते || पंकजवासिनी देवसुपुजित सद्रुणवर्षिणी शांतियुते | जय जय हे मधुसुदन कामिनी आदिलक्ष्मी सदापलीमाम ||१||
धान्यलक्ष्मी अहिकली कल्मषनाशिनि कामिनी वैदिकरुपिणी वेदमये | क्षीरमुद्भव मंगलरूपिणी मन्त्रनिवासिनी मन्त्रनुते | | मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पाद्युते | जय जय हे मधुसुदन कामिनी धान्यलक्ष्मी सदा पली माम|| २||
धैर्यलक्ष्मी जयवरवर्णिनी वैष्णवी भार्गवी मन्त्रस्वरूपिणी मन्त्रम्ये | सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनी शास्त्रनुते || भवभयहारिणी पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते | जय जय हे मधुसुदन कामिनी धैर्यलक्ष्मी सदापलेमाम ||३||
गजलक्ष्मी जयजय दुर्गतिनाशिनी कामिनी सर्वफलप्रद शास्त्रमये | रथगज तुरगपदादी समावृत परिजनमंडित लोकनुते || हरिहर ब्रम्हा सुपूजित सेवित तापनिवारिणी पादयुते | जय जय हे मधुसुदन कामिनी गजलक्ष्मी रूपेण पलेमाम ||४||
संतानलक्ष्मी अहिखग वाहिनी मोहिनी चक्रनि रागविवर्धिनी लोकहितैषिणी स्वरसप्त भूषित गाननुते सकल सूरासुर देवमुनीश्वर || मानववन्दित पादयुते | जय जय हे मधुसुदन कामिनी संतानलक्ष्मी त्वं पालयमाम || ५ ||
विजय लक्ष्मी जय कमलासनी सद्रतिदायिनी ज्ञानविकासिनी गानमये | अनुदिनमर्चित कुमकुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते || कनकधस्तुति वैभव वन्दित शंकर देशिक मान्य पदे | जय जय हे मधुसुदन कामिनी विजयलक्ष्मी सदा पालय माम ||६ ||
विद्यालक्ष्मी प्रणत सुरेश्वरी भारती भार्गवी शोकविनासिनी रत्नमये | मणिमयभूषित कर्णविभूषण शांतिसमवृत हास्यमुखे || नवनिधिदायिनी कलिमहरिणी कामित फलप्रद हस्त युते | जय जय हे मधुसुदन कामिनीविद्यालक्ष्मी सदा पालय माम ||