जनेऊ संस्कार

जनेऊ संस्कार, जिसे यज्ञोपवीत संस्कार भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो द्विजाति (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) वर्ग के लड़कों के जीवन में उनके ब्राह्मण होने का प्रतीक माना जाता है। यह संस्कार सामान्य रूप से वेदीय जीवन की शुरुआत में किया जाता है और ब्रह्मचारी आवस्था में उपनयन (जनेऊ पहनाने) के साथ ही होता है।

इस संस्कार में ब्राह्मण युवक को उनके गुरु के पास जाने का आदिकार दिया जाता है और उन्हें वेदों की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही, उन्हें एक त्रैवार्षिक (तीन धारी) जनेऊ पहनाने का अधिकार भी मिलता है, जिसका मतलब होता है कि वे अब तीन वेदों (रिग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद) का अध्ययन कर सकते हैं।

जनेऊ संस्कार में पूजा, हवन, मन्त्र पाठ, वेदिक पूजा आदि शामिल होते हैं। यज्ञोपवीत को दर्भ धागा से बनाया जाता है और यह ब्राह्मण के उपरोक्त कंठ की तीन धारीयों को प्रतिनिधित्त्व करता है।

यह संस्कार ब्राह्मण वर्ग के लड़कों के लिए एक आवश्यक चरण होता है जो उनके आध्यात्मिक और विद्यार्थी जीवन की शुरुआत को संकेतित करता है। यह उन्हें वेदों की शिक्षा और अध्ययन की दिशा में मार्गदर्शन करता है।