हरतालिका तीज

हरतालिका तीज एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो मुख्य रूप से नारी शक्ति और पतिव्रता धर्म का मानने वाली स्त्रियों के बीच में मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो कि आमतौर पर जुलाई या अगस्त महीने में होती है।

हरतालिका तीज के दौरान नारी भक्तों की नैतिकता, आदर्श और धर्मिकता को महत्व देने के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए पतिव्रता धर्म की प्रतीकता होता है, जो अपने पतियों की लंबी उम्र और उनके दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं:

  1. परिणय पूजा (विवाह पूजा): यह पूजा विवाहित महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु के लिए करती हैं। वे भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियों की पूजा करती हैं और उनकी खुशी, सुख-शांति और पतिव्रता धर्म की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।

  2. व्रत और उपवास: भक्तिनें व्रत रखती हैं और उपवास करती हैं, जिसमें वे दिनभर कुछ भी नहीं खाती हैं।

  3. विशेष प्रसाद: हरतालिका तीज के व्रत का पालन करने वाली महिलाएं विशेष प्रसाद बनाती हैं और उसे भगवान शिव और पार्वती को चढ़ाती हैं।

  4. सोहाग पूजा: कुछ स्थानों पर, हरतालिका तीज को सोहाग पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं।

हरतालिका तीज का यह त्योहार महिलाओं की भक्ति, सामाजिक महत्व और पतिव्रता धर्म के महत्व को प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।