देव दिवाली

देव दिवाली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भगवान शिव के त्रिपुरासुर राक्षस पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

देव दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है। इस दिन, वाराणसी के गंगा घाटों पर एक भव्य दीपोत्सव मनाया जाता है। इस दीपोत्सव में, घाटों को हजारों दीयों से सजाया जाता है और गंगा नदी में दीया जलाया जाता है। यह एक बहुत ही खूबसूरत दृश्य है।

देव दिवाली के दिन, वाराणसी के विभिन्न मंदिरों और घाटों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में, भगवान शिव की प्रतिमाओं को फूलों से सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

देव दिवाली वाराणसी के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण है। हर साल, लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस त्योहार को देखने के लिए वाराणसी आते हैं।

वाराणसी में देव दिवाली के अवसर पर आयोजित होने वाले कुछ प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:

  • गंगा घाटों पर दीपोत्सव
  • विभिन्न मंदिरों और घाटों पर भगवान शिव की पूजा और आरती
  • विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन
  • भंडारा और भोजन वितरण

देव दिवाली का त्योहार एक ऐसा अवसर है जब हिंदू भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक ऐसा अवसर भी है जब हिंदू त्रिपुरासुर राक्षस पर भगवान शिव की विजय का जश्न मनाते हैं।

वाराणसी में देव दिवाली के अवसर पर आयोजित होने वाले कुछ प्रसिद्ध कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:

  • दशाश्वमेध घाट पर आयोजित होने वाली दीपोत्सव
  • काशी विश्वनाथ मंदिर पर आयोजित होने वाली विशेष पूजा और आरती
  • अस्सी घाट पर आयोजित होने वाला भंडारा

देव दिवाली वाराणसी के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक त्योहार है। यह एक ऐसा त्योहार है जो वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।