दशाश्वमेध घाट

दशाश्वमेध घाट वाराणसी गंगा नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख घाट है। यह घाट शहर के सबसे पुराने और सबसे पवित्र घाटों में से एक है। दशाश्वमेध का अर्थ है "दस घोड़ों का बलिदान"। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में, राजा सगर ने अपने सौ पुत्रों को गंगा नदी में बलिदान दिया था। बाद में, भगवान राम ने अपने पिता के पापों को धोने के लिए इस स्थान पर एक अश्वमेध यज्ञ किया था। 

दशाश्वमेध घाट पर हर दिन दोपहर में एक भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। यह आरती एक हजार से अधिक दीपों से सजाई जाती है और यह एक अद्भुत दृश्य है। दशाश्वमेध घाट एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है और यहाँ हर साल लाखों लोग आते हैं।

दशाश्वमेध घाट के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

दशाश्वमेध घाट को वाराणसी के सबसे पवित्र घाटों में से एक माना जाता है।
दशाश्वमेध घाट पर हर दिन दोपहर में एक भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
दशाश्वमेध घाट एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
दशाश्वमेध घाट का नाम दस अश्वमेध यज्ञों से मिलता है, जो इस स्थान पर किए गए थे।